माराठा समुदाय ने हाल ही में लगभग 20,000 बारों में एक समग्र ‘नो अल्कोहल’ प्रोटेस्ट का आयोजन किया, जो देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। यह आंदोलन विशेष रूप से ड्यूटी वृद्धि के खिलाफ है, जो कि शराब की कीमतों को प्रभावित कर रही है।
प्रोटेस्ट का उद्देश्य सरकार को यह संदेश देना है कि शराब पर बढ़ाई गई कर दरें सीधे तौर पर आम जनता पर भार डालती हैं और इस वृद्धि से शराब उद्योग के साथ जुड़े कई लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है। मराठा समुदाय ने इस लड़ाई में अपनी ताकत दिखाते हुए बड़े पैमाने पर समर्थन दर्ज कराया है।
प्रमुख कारण और प्रभाव:
- ड्यूटी वृद्धि: सरकार ने शराब पर अतिरिक्त टैक्स लगाया है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई है।
- शराब उद्योग में मंदी: बढ़ती कीमतों के कारण शराब के बिक्री-बाज़ार में कमी आई है।
- मराठा समुदाय की भूमिका: समुदाय ने इस प्रोटेस्ट के ज़रिए अपनी असहमति जताई और बार-बार प्रदर्शन किया।
इस प्रोटेस्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि आर्थिक नीतियों का सामाजिक और आर्थिक स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है और समुदाय अपनी आवाज़ उठाने के लिए संगठित होता है। ड्यूटी हाइक के संदर्भ में सरकार और संबंधित पक्षों के बीच किसी प्रकार का संवाद महत्वपूर्ण होगा, जो स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।
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